कमपैशन इन्टरनैशनल नामक सारे विश्व में गरीबों की सहायता के लिए कार्य करने वाली संस्था के एक कार्यकर्ता ने एक महिला के साथ घटित घटना के बारे में बताया। उस महिला को अवसर मिला कि वह उस दूर देश में जाकर उस बच्चे से मिले जिसकी सहायता उसने संस्था को पैसे देते रहने का वायदा किया था। उस देश में पहुँचकर वह महिला उस बहुत ही निर्धनता में रहने वाले उस बच्चे से मिली और उसे अपने साथ भोजन करने के लिए एक रेस्टोरेंट में गई। वहाँ उस महिला ने अपने लिए सलाद और बच्चे के लिए बर्गर मँगवाया। जब भोजन मेज़ पर परोसा गया, तो उस बच्चे ने, जिसने निःसन्देह अपने जीवन में कभी ऐसा भोजन नहीं किया होगा, अपने सामने रखे बड़े से बर्गर को देखा और उस महिला के सामने रखे सिर्फ सलाद को देखा। फिर उसने चाकू लेकर अपने बर्गर को आधा आधा काटा और एक भाग उस महिला को देते हुए अपने पेट को सहलाते हुए संकेत से पूछा कि क्या उसे भूख लगी है?
वह बच्चा, जिसने अपना जीवन बहुत ही कमी-घटी में बिताया था, जो उसके पास था उसे उस व्यक्ति के साथ बाँटने के लिए तैयार था जिसे देखकर उसे लगा कि वह भी ज़रूरतमन्द होगा। अगली बार जब हम किसी ऐसे व्यक्ति से मिलें जिसे कोई शारीरिक, आत्मिक या भावनात्मक आवश्यकता है, तो इस बालक द्वारा किया गया कार्य हमारे अनुसरण के लिए एक अच्छा उदाहरण हो सकता है। मसीह यीशु के अनुयायी होने के नाते, हमारा विश्वास हमारे कार्यों के द्वारा लोगों पर प्रगट होना चाहिए (याकूब 2:17)।
प्रतिदिन हमारे संपर्क में ऐसे लोग आते हैं जो किसी ना किसी बात के लिए ज़रुरतमन्द होते हैं; वे चाहे किसी अन्य देश में हों या फिर अगली ही गली में रहते हों। किसी को गर्म भोजन की तो किसी को स्नेहपूर्ण व्यवहार या कोमल शब्दों की आवश्यकता हो सकती है। मसीही विश्वासी जिन्होंने प्रभु यीशु मसीह के प्रेम को अनुभव किया है, दूसरों के साथ भलाई करने के व्यवहार के द्वारा संसार में कितना अंतर ला सकते हैं (इब्रानियों 13:16)।
पर भलाई करना, और उदारता न भूलो; क्योंकि परमेश्वर ऐसे बलिदानों से प्रसन्न होता है। – इब्रानियों 13:16
James 2:12 तुम उन लोगों की नाईं वचन बोलो, और काम भी करो, जिन का न्याय स्वतंत्रता की व्यवस्था के अनुसार होगा।
James 2:13 क्योंकि जिसने दया नहीं की, उसका न्याय बिना दया के होगा: दया न्याय पर जयवन्त होती है।
James 2:14 हे मेरे भाइयों, यदि कोई कहे कि मुझे विश्वास है पर वह कर्म न करता हो, तो उस से क्या लाभ? क्या ऐसा विश्वास कभी उसका उद्धार कर सकता है?
James 2:15 यदि कोई भाई या बहिन नगें उघाड़े हों, और उन्हें प्रति दिन भोजन की घटी हो।
James 2:16 और तुम में से कोई उन से कहे, कुशल से जाओ, तुम गरम रहो और तृप्त रहो; पर जो वस्तुएं देह के लिये आवश्यक हैं वह उन्हें न दे, तो क्या लाभ?
James 2:17 वैसे ही विश्वास भी, यदि कर्म सहित न हो तो अपने स्वभाव में मरा हुआ है।
James 2:18 वरन कोई कह सकता है कि तुझे विश्वास है, और मैं कर्म करता हूं: तू अपना विश्वास मुझे कर्म बिना तो दिखा; और मैं अपना विश्वास अपने कर्मों के द्वारा तुझे दिखाऊंगा।
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